भाजपा ने बिना वोटिंग सूरत लोकसभा सीट जीती

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मुकेश दलाल निर्विरोध जीते; कांग्रेस कैंडिडेट का पर्चा रद्द हुआ, 8 ने नाम वापस लिया

सूरत। लोकसभा चुनाव में भाजपा का खाता खुल गया है। गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से सोमवार को BJP कैंडिडेट मुकेश दलाल निर्विरोध चुने गए। दरअसल यहां से कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। उनके पर्चे में गवाहों के नाम और हस्ताक्षर में गड़बड़ी थी।

इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस समेत 10 प्रत्याशी मैदान में थे। रविवार को 7 निर्दलीय कैंडिडेट ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। बीएसपी कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ही बचे थे, जिन्होंने सोमवार 22 अप्रैल को पर्चा वापस ले लिया। इस तरह मुकेश दलाल निर्विरोध चुने गए।

कांग्रेस बोली- कानूनी लड़ाई लड़ेंगे : गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, हमारी लीगल टीम सभी पहलुओं की पड़ताल कर रही है। कानूनी टीम इस बात पर विचार कर रही है कि पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाए या फिर सीधे सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई जाए।

मुकेश निर्विरोध निर्वाचित होने वाले बीजेपी के पहले सांसद बने हैं। वहीं, गुजरात के चुनावी इतिहास में भी यह पहला मौका है, जब कोई सांसद बिना चुनाव लड़े ही जीत गया हो।

रविवार को रद्द हुआ था नीलेश कुंभाणी का पर्चा : बीजेपी के पूर्व डिप्टी मेयर दिनेश जोधानी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी के पर्चे में प्रस्तावकों के फर्जी हस्ताक्षर करवाए गए हैं। डीईओ सौरभ पारधी ने 21 अप्रैल को इस मामले में स्पष्टीकरण मांगते हुए कुंभाणी को रविवार सुबह 11 बजे तक का समय दिया था।

नामांकन पत्र रद्द करने को लेकर रविवार को कलेक्टर और चुनाव अधिकारी के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान फॉर्म पर हस्ताक्षर करने वाले चारों प्रस्तावक भी नदारद थे। इसके चलते आखिरकार चुनाव अधिकारी ने नीलेश कुंभाणी का फॉर्म रद्द कर दिया।

कांग्रेस की चुनाव आयोग में शिकायत : कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने 22 अप्रैल को मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की। उन्होंने कहा- एक बार होता है तो तुक्का होता है। दूसरी बार हो तो संयोग (Coincidence) कहा जाता है। तीसरी बार हो तो दुश्मन का एक्शन कहा जाता है। सूरत में ये बार-बार हुआ। कांग्रेस कैंडिडेट के 4 प्रस्तावकों ने एकसाथ खड़े होकर कहा कि फॉर्म में हमारे साइन नहीं है। ये चुनाव के एक दिन पहले ये कहा गया। चुनाव से पहले कैंडिडेट भी नहीं मिल रहे थे। सूरत से जो बाकी कैंडिडेट्स ने भी नाम वापस ले लिया। ऐसा अजूबा हमने देखा नहीं। हमने चुनाव आयोग से कहा कि नॉन-प्लेइंग फील्ड बना दिया गया है, समतल जमीन नहीं रखी गई। हमने सूरत में चुनाव स्थगित करने की मांग की है।

मुकेश दलाल ने कहा- लोकतांत्रिक तरीके से जीत हासिल की : निर्विरोध चुने जाने पर मुकेश दलाल ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल का आभारी हूं। मैंने लोकतांत्रिक तरीके से जीत हासिल की है। मैं वास्तव में अपने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का भी आभारी हूं। विरोधियों के बारे में इतना ही कहूंगा कि चीजें उनकी उम्मीदों के मुताबिक होती हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। उम्मीदों के विपरीत काम होने पर उन्हें लोकतंत्र की हत्या नजर आने लगती है।’

अब जानिए कौन हैं मुकेश दलाल

सूरत सीट से मुकेश दलाल पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर बीजेपी की दर्शना जरदोश पिछले तीन टर्म से चुनाव जीतती आ रही थीं, लेकिन इस बार उनका टिकट काटकर मुकेश दलाल को जगह दी गई। दलाल बीजेपी गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के करीबी हैं। मुकेश दलाल पिछले 43 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी से जुड़़े हुए हैं। पाल क्षेत्र से लगातार तीन बार पार्षद रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी युवा मोर्चा के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं।

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